ताशकंद समझौता क्या है?: नमस्कार दोस्तों आज हमारे इस वेबसाइट में आने के लिए आप लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद आज हम आप सभी लोगों को अपने इस वेबसाइट के माध्यम से आप लोगों को यह जानकारी देने वाले हैं कि ताशकंद समझौता क्या है जो कि आप लोगों को ताशकंद समझौता के बारे में आप लोगों को जानकारी जानना बहुत ही आवश्यक है तो दोस्तों हम आप लोगों को यहां पर ताशकंद समझौता से संबंधित सारी जानकारी बताएंगे की गई तक्षक समझौता की प्रमुख बातें क्या थी और इसके समझौते पर हस्ताक्षर किया था तथा इसका प्रभाव कैसा देखने को मिला और इसके प्रभाव से कितने लोगों ने इसका विरोध किया इन सभी के बारे में सारी जानकारी को आज हम आप लोगों के समक्ष रखने वाले हैं जो कि आप लोगों को हम बता दें कि इसकी सारी जानकारी लेने के लिए हमारे इस आर्टिकल को जरूर से पढ़ें जिससे कृपा करके आप लोग इसकी पूरी जानकारी को अच्छी तरीके से जान सकते हैं तो मैं आप लोगों को बता दूं कि अगर आप लोग इसकी पूरी जानकारी को हासिल करना चाहते हैं तो आप लोग हमारे साथ आंध्र तक बने रहें जिससे कि आप लोग उसकी सारी जानकारी को अच्छी तरीके से जान सके तो मैं आप लोगों को बता दूं कि यह कहानी बहुत ही पुरानी है जो कि आप लोग को बता दें कि 1966 में ताशकंद तथा भारत और पाकिस्तान समझौते पर दस्तखत करने के बाद लाल बहादुर शास्त्री बहुत ही दबाव में थे पाकिस्तान की हाजी पीर और चित्र बाल वापस कर देने के कारण उनकी भारत की काफी आलोचना हो रही थी उन्होंने देर रात अपने घर दिल्ली में बहुत देर तक फोन मिलाया था जो कि इस विषय से संबंधित आप लोग को हम यहां पर पूरी जानकारी को बताने का प्रयास करेंगे
ताशकंद समझौता क्या है? (tashkand samjhauta kya hai)
दोस्तों मैं आप लोगों को बता दूं कि ताशकंद समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 11 जनवरी 1966 को हुआ था जो इसका शांति समझौता था इस समझौते में यह तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान अपनी अपनी शक्ति का प्रयोग करके कोई को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे लेकिन आप लोगों को बता दें कि शांतिपूर्ण ढंग से तय करेंगे लेकिन 25 फरवरी 1966 तक दोनों देश अपने अपने सेना के माध्यम से सीमा रेखा से पीछे हटा लेंगे दोनों देशों के बीच आपसी हितों के मामले में शिखर वार्ताएं तथा अन्य स्तरों पर वार्तालाप हुआ और अपनों को हम बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच में जो एक दूसरे के बीच में संबंध था उस संबंध को इस मामले से हस्तक्षेप न करने पर आधारित इसकी कहानी तैयार की गई है जो कि बता दे कि दोनों देशों के बीच है राजनैतिक संबंध फिर से स्थापित किया जाएंगे
भारत की जनता के लिए यह दुर्भाग्य ही रहा कि ताशकंद समझौते के बाद भारतीय महान पुरुष व लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में हमेशा हमेशा के लिए वंचित हो गई 11 जनवरी सन 1966 को इस महान पुरुष का ताशकंद में ही हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया जो कि मैं आपको बता दूं कि लाल बहादुर शास्त्री को कभी किसी पद या सम्मान का कोई लालसा बिल्कुल नहीं रहा और उनके राजनीतिक जीवन में अनेक ऐसे अवसर आए जब शास्त्री जी ने इस बात का सबूत दिया इसलिए उन्हें बारे में उनके अक्सर यहां कहा जाता है कि मैं अपने त्यागपत्र सदैव अपनी जेब में ही रखते थे ऐसे विरले वक्त के धनी शास्त्री भारत माता के सच्चे सपूत थे जो कि मैं आपको बता दूं कि लाल बहादुर शास्त्री भारत माता के सच्चे और ईमानदार व्यक्ति थे सन 1947 में लाल बहादुर शास्त्री उत्तर प्रदेश के गृह और परिवहन मंत्री बने इस पद पर कार्य करते समय लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिभा पहचानकर 1952 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के चुनाव आंदोलन को संगठित करने पर बहुत सारी नेहरु जी ने उन्हें चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत से विजई प्राप्त हुई जिसका बहुत कुछ श्री लाल बहादुर शास्त्री का संगठन कुशलता से हो गया 1952 में ही लाल बहादुर शास्त्री राज्यसभा के लिए चुने गए जिन्होंने परिवहन और रेल मंत्री का कार्यभार सौंपा गया और 4 वर्ष पश्चात 1956 में इंडिया न्यूज़ रेल दुर्घटना के लिए इसमें कोई 150 से अधिक लोग मारे गए थे उन्होंने अपने नैतिक और रूप से उत्तरदाई अट्ठारह करें उन्होंने रेल मंत्री का पद त्याग दिया था सर लाल बहादुर शास्त्री के इस निर्णय को देश भर में स्वागत किया गया और उनका बहुत ही ज्यादा सम्मान किया गया दोस्तों बता दें कि इस सदगुरु और जनप्रिय होने के कारण 1957 के आदित्य आम चुनाव में विजई हुए और पुनः केंद्रीय मंत्रिमंडल में परिवहन व संचार मंत्री के रुप में सम्मिलित किए हुए सन 1998 वाणिज्य उद्योग मंत्री बनाए गए
ताशकंद समझौता कब हुआ? (tashkand samjhauta kab hua tha)
दोस्तों मैं आपको बता दूं कि ताशकंद समझौता जो कि बहुत ही अच्छी जानकारी इससे हमें मिलती है तो आप लोग को हम वहां पर या बताने वाले हैं कि ताशकंद समझौता कब हुआ था यह तो बता दे कि ताशकंद समझौता भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और भूखा की लंबी बातचीत के पश्चात 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौता जो रूस में हुआ था और हम आप लोग को बता दो कि इसका जो मुख्य उद्देश्य था वह भारत और पाकिस्तान के बीच में शांति का पूरा बाद रखा गया था और शांति की स्थापना के लिए उन्होंने 10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौता पाकिस्तान और राष्ट्रपति आयोग खान के साथ किया गया था और ताशकंद समझौते पर आस्था हस्ताक्षर भी किया गया था जो कि उस हस्ताक्षर पर किसका चुनाव किया गया इसके बारे में भी आप लोग को पूरी जानकारी हम अपनों को यहां पर बताएंगे
ताशकंद समझौते की प्रमुख बातें
दोस्तों मैं आप लोग को यहां पर यह जानकारी देने वाला हूं कि ताशकंद समझौता जो कि भारत और पाकिस्तान के बीच में हुआ था सभी समझौते में क्या बातें बताई गई थी और उस बातों का क्या महत्व हुआ या नहीं हुआ उन सभी बातों को हम आज यहां पर जानेंगे जो कि आप लोग को यहां पर उसकी पूरी मुख्य उद्देश्य तथा उसकी प्रमुख बातें आप लोग को हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से मिलेगी जो कि आप लोगों को यह जानना बहुत ही आवश्यक है
- जब कभी भारत और पाकिस्तान के बीच में झगड़े हो तो उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से तय किया जाएगा
- दोनों देश अपनी शक्तियों का प्रयोग नहीं करेंगे
- दोनों देश अपनी सेना को सीमा रेखा से पीछे हटा लेंगे
- इन देशों के बीच में जो हित की जाने वाली बातचीत है उसे हमेशा के लिए जारी रखेंगे
- भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के आंतरिक मामलों में इंटरफेयर नहीं करेंगे
- दोनों देशों के मध्य राजनीतिक संबंधों को फिर से स्थापित किया जाएगा
- दोनों देश के बीच में प्रचार कार्य को फिर से शुरू कर दिया जाएगा
- बिजनेस और एनएनसीएल संबंध को फिर से स्थापित करने पर विचार किया जाएगा
- लोगों के निगमन को बंद करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाई जाएगी
- हाल ही में हुए एक दिन में जप्त की गई एक दूसरे की संपत्ति को वापस करने पर विचार किया जाएगा
- अवैध प्रवासी और शरणार्थियों की समस्याओं पर विचार विमर्श किया जाएगा
इस तरह से हमने आप सभी लोगों को ताशकंद समझौते की प्रमुख बातें आप लोगों को बताया जो कि आप लोगों को बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच में जो या समझौता किया गया इसके बारे में सारी जानकारी को हमने आप लोगों को बताया है जो कि आप लोगों को यह जानकारी जानकर बहुत ही खुशी हो रही होगी तो दोस्तों आप लोगों को बता दें कि ताशकंद समझौते पर पूरी जानकारी को हम आप लोग को यहां पर बताया है जो कि आप लोग इसकी पूरी जानकारी को जान सकते हैं
ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर कहां हुए थे?
दोस्तों अब आप लोगों को हम यहां पर या जानकारी देने वाले हैं कि ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर कहां हुए थे जो कि आप लोगों को या जानकारी बहुत ही अच्छी होगी अगर आप लोग इसे की जानकारी को जान लेते हैं तो दोस्तों बता दे कि ताशकंद समझौता दोनों देशों अर्थात भारत और पाकिस्तान के बीच में 5 अगस्त 1965 से लेकर के 23 सितंबर 1965 तक हुए ईद को हल करने के लिए एक आस्था शांति समझौता किया गया था इस समझौते पर हस्ताक्षर उज्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में किए गए थे
ताशकंद समझौते का प्रभाव
दोस्तों मैं आप लोगों को बता दूं कि अगर आप लोग ताशकंद समझौते का प्रभाव जानना चाहते हैं तो आप लोगों को हम बता दें कि इसका प्रभाव बहुत ही तरह है जो कि आप लोगों को यहां पर इसके बारे में सारी जानकारी को बताने का हम प्रयास करेंगे बता दें कि ताशकंद समझौते के परिणाम स्वरुप दोनों देशों की सेनाएं उस सीमा रेखा पर तैनात हो गई जहां पर वहां ईद से पहले तैनात थी इस समझौते का भारत और पाकिस्तान के बीच में जो रिलेशनशिप चल रहा था उसकी बीच में गहरा प्रभाव पड़ा जो कि आप लोगों को यहां पर इसके बारे में सारी जानकारी को बताया जाएगा
ताशकंद समझौते पर भारत पर पड़ने वाला प्रभाव
दोस्तों मैं आप लोगों को बता दूं कि अगर आप लोग ताशकंद समझौते से जुड़ी सारी जानकारी को लेते आते हैं तो मैं आप लोगों को यहां पर इसके प्रभाव के बारे में भी आप लोगों को जानकारी बताएंगे दोस्तों बता दें कि यह से समझौते से जुड़ी हुई एक अन्य बात है जिसका दुखद प्रभाव केवल भारत पर पड़ा और यह प्रभाव में आप लोग को बताएंगे मैं बता दूं कि इस समझौते में केवल 12 घंटे बाद ही भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमई तरीके से निधन हो गया था जो इस बात को सुनकर के भारत माता के सच्चे पुत्र लाल बहादुर शास्त्री का स्वर्गवास हो गया था
दोस्तों बता दें कि इस घोषणा के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी की भारत में बहुत आलोचनाएं हुई थी यह बात उनके साथ गए एक सूचना अधिकारी द्वारा एक इंटरव्यू में बताया गया कि जिसमें उन्होंने बताया कि घोषणा के बाद दोबारा ना आए थे जिसमें से एक कृष्ण मैनन का था और दूसरा अटल बिहारी बाजपेई का था इन दोनों ने इस फैसले की आलोचना की थी
लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ गए सूचना अधिकारी के ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि मैं पाकिस्तान के साथ किए गए इस समझौते से शास्त्री जी की पत्नी भी उनसे नाराज कि इस समझौते के बाद शास्त्री जी ने घर पर अपनी पत्नी से बात करना चाहे तो उनकी बेटी ने कहा कि अब मैं फोन पर नहीं आएंगे शास्त्री जी के कारण पूछने से उसने बताया कि क्योंकि अपने पुथुवाल और हाजी पीर पाकिस्तान को वापस दे दिया है इसलिए मैं बहुत नाराज है इस बात को लेकर लाल बहादुर शास्त्री जी को बहुत धक्का लगा और जिसके बाद वह बहुत ही ज्यादा टेंशन में आ गए जिससे उनकी यह बात बहुत ही ज्यादा प्रभावित किया और उनको मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया
ताशकंद समझौते का प्रभाव
दोस्तों मैं आप लोगों को यहां पर ताशकंद समझौते पर पूरी चर्चा करते हुए मैं आप लोगों को यहां पर या जानकारी देना चाहता हूं कि ताशकंद समझौते का प्रभाव जो हमारे देश में हुआ वह इस आर्टिकल के माध्यम से बताया जाएगा जो कि आप लोगों को हम बता दें कि ताशकंद समझौते पर बहुत सारे नुकसान हमारे भारत देश वासियों को झेलना पड़ा जो कि हम आप लोग को उन सभी समझौते पर होने वाला प्रभाव के बारे में सारी जानकारी को यहां पर बताएंगे जो कि आप लोग उसकी सारी जानकारी कोई जान करके बहुत खुशी होगी और आप लोगों को यह जानकारी जानना बहुत ही आवश्यक है तो दोस्तों आइए जानते हैं कि इस समझौते पर क्या असर देखने को मिला
- ताशकंद समझौते पर भारत पर पड़ा प्रभाव
- ताशकंद समझौते का साथ लाल बहादुर शास्त्री जी के परिवार पर पड़ा भारी प्रभाव
ताशकंद समझौते पर भारत पर पड़ा प्रभाव
दोस्तों मैं आप लोगों को बता दें कि ताशकंद समझौते के परिणाम स्वरुप दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे सीमा रेखा के नेता अनाथ हो गई जहां पर वहां युद्ध से पहले तैनात थी इस समझौते का भारत और पाकिस्तान के बीच में जो लंबा सा संबंध था वह काफी बहुत ही ज्यादा गहरा प्रभाव इससे देखने को मिला है जो कि आपको बता दें कि इस समझौते पर ताशकंद समझौता का भारत पर प्रभाव बहुत ही ज्यादा अधिक पड़ा इस समझौते से जुड़ी एक अन्य बात है जिसका दुखद प्रभाव केवल भारत पर पड़ा और यह थी कि कोई संबोधित के केवल 12 घंटे बाद ही भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन हो गया और इस सच्चे भारत माता के पुत्र लाल बहादुर शास्त्री इस बात पर बहुत सारे बात को सुन कर के मैं वहीं पर उनका निधन हुआ और इस घोषणा के बाद लाल बहादुर शास्त्री जी की भारत में बहुत आलोचनाएं हुई थी यह बात उनके साथ एक सूचना अधिकारी के इंटरव्यू में यह पता चला कि जिसमें उन्होंने बताया था कि इस घोषणा के बाद दो बयान आए थे इसमें से कृष्ण मैनन कथा और दूसरा अटल बिहारी बाजपेई का था जो कि इन दोनों ने लाल बहादुर शास्त्री की समझौते पर बहुत सारे विरोध किया और उन्हें आलोचनाओं के माध्यम से इनकी पूरी या घटनाएं देखने को मिली जहां तक इनकी मृत्यु भी इन्हीं कारणों वर्ष हुआ था

ताशकंद समझौते का साथ लाल बहादुर शास्त्री जी के परिवार पर पड़ा भारी प्रभाव
दोस्तों मैं आप लोग बता दे किस ताशकंद समझौते का जो असर लाल बहादुर शास्त्री जी के परिवार पर भी या प्रभाव पड़ा था जो कि इनके प्रभाव से भारत और पाकिस्तान के बीच में जो बातें चल रही थी उन सभी बातों को लेकर के इनकी पूरे परिवार को इसका सजा भुगतना पड़ा दोस्तों बता दे कि शास्त्री जी के साथ गए सूचना अधिकारी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि मैं पाकिस्तान के साथ किए गए इस समझौते से शास्त्री जी की पत्नी से भी उनसे नाराज थी इस समझौते के बाद शास्त्री जी ने घर पर अपनी पत्नी से बात करना चाहा तो उनकी बेटी ने उन्हें अपनी मां से बात करने से इंकार कर दिया जो कि या बताया जाता है कि उनकी पत्नी भी उनसे बहुत ही ज्यादा नाराज थी कि इस समझौते पर उनकी पत्नी भी बहुत ही ज्यादा उनसे नाराज रहती थी शास्त्री जी के द्वारा कारण पूछने पर उसने बताया कि आपने ठिथवाल और हाजी पीर पाकिस्तान को वापस दे दिया है इसलिए मां बहुत नाराज हैं इस बात से लाल बहादुर शास्त्री का परिवार भी बहुत ही ज्यादा उनसे रूठा हुआ था और आप लोग बता दें कि जिसके बाद में बहुत ही ज्यादा टेंशन में थे
ताशकंद समझौता और शास्त्री जी की मृत्यु
अब हम आप सभी लोगों को ताशकंद समझौते और लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु के बारे में आप लोगों को यहां पर जानकारी मिलेगी दोस्त बता दे कि आप लोगों को बताया कि ताज का समझौता जो कि बहुत ही अच्छी समझौता थी इस बात को लेकर के इसमें लाल बहादुर शास्त्री जी का निधन भी हुआ और मैं आप लोगों को बता दूं कि भारत और पाकिस्तान के बीच में जो 6 महीने तक इधर चला था इस ईद खत्म होने के 4 महीने बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्री सूची क्षेत्र ताशकंद में शांति समझौते के लिए रवाना हुए जिसमें पाकिस्तान की तरफ उन्हें अयूब खान और भारत की तरफ से लाल बहादुर शास्त्री जी थे 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच में समझौता किया गया और इस समझौते के अनुसार जब तब की गई संपत्ति लौटने की संदर्भ में उन्होंने जिसमें भारत को भारतीय सेना द्वारा जीता गया इलाका हाजीपीर और ठिथवाल और पाकिस्तान के बीच इस विवाद को लेकर के बताया जाता है कि राधा जी शास्त्री जी के दबाव श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई हुई और मैं आप लोगों को बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री जी के इस समय तक भारत में काफी आलोचनाएं की जा रही है थी ऐसा माना जाता है कि आलोचना के दबाव की वजह से फ्लावर शास्त्री की ह्रदय गति रुकने के कारण से मौत भी उनकी वहीं पर हो गई और स्वाभाविक मौत थी या मौत जहर देने की वजह से हुई थी इसका जवाब आज भी क्लियर नहीं हो पाया है जो कि हम आप लोगों को बता दें कि इस बात को बहुत ही ज्यादा पता लगाया जाता है लेकिन अभी तक इसका कोई जानकारी नहीं मिल पाया है
निष्कर्ष
दोस्तों हमने आप सभी लोगों को यहां पर यह जानकारी बताया है कि ताशकंद समझौता कब और किस तरीके से किया गया तथा इसका प्रमुख उद्देश्य क्या था जो कि हमने आप लोगों को इस विषय से संबंधित सारी जानकारी को बहुत ही विस्तार से बताया है और आप लोगों को हमने यहां पर जो भी जानकारी दिया है वह सभी इंटरनेट और गूगल के माध्यम से ही बताया है और मैं आशा करता हूं कि आप लोगों को हमारी यह जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी तो आप लोगों को बता दें कि इसकी सारी जानकारी को आप लोगों को जानकर बेहद खुशी हो रही होगी अगर आप लोगों को इसमें कोई भी गलती आती है तो आप लोग हमें कमेंट करके बता सकते हैं जिससे कि हम आप लोगों को अपनी इस वेबसाइट के माध्यम से आप लोगों को अच्छी से अच्छी जानकारी दे सके
ताशकंद किस तरह का शहर है?
ताशकंद उज़्बेकिस्तान गणराज्य की राजधानी है , जो मध्य एशिया का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, जो देश का एक राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक केंद्र है।
ताशकंद आदमी कौन है?
सुभाष चंद्र बोस
ताशकंद समझौता किसने लिखा था?
भारत के प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हस्ताक्षर किए थे।
ताशकंद समझौता कब हुआ
10 January 1966
ताशकंद समझौता कब और किसके बीच हुआ
भारत और पाकिस्तान
ताशकंद समझौता कहाँ हुआ था
Tashkent