कबीर के गुरु कौन थे: नमस्कार दोस्तों आज हमारी इस वेबसाइट में आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आज हम आप सभी लोगों को संत कबीरदास के गुरु कौन थे आज हम यहां पर इसकी पूरी जानकारी बताएंगे और आप लोग वह हम बहुत ही अच्छी जानकारी अभी पर देने वाले हैं जो कि आप लोग इसे जानकर बहुत ही ज्यादा अच्छा लगेगा बताया कि संत रविदास जी की पूरी जानकारी हम यहां पर अपने साथ कल के माध्यम से बताएं जिससे कि आप लोग जान करके बहुत ही ज्यादा खुशी महसूस करेंगे तो आइए हम आपको बताते हैं संत कबीर दास के गुरु कौन थे संत कबीरदास के गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज थे और कबीर दास के गुरु रामानंद जी महाराज बहुत ही अच्छे संदेश भेजो कि इनके शिष्य कबीर दास जी ने अपने जीवन में ऐसी ऐसी दोहे तथा ग्रंथ लिखे हैं जो कि आप लोग को पढ़कर का बहुत ही अच्छा ना ले जिससे मिलता है तो मैं आप लोगों को बता दूं कि कबीर दास जी की पूरी जीवन की घटनाएं हम आप सभी लोगों को यहां पर बताएंगे जिससे कि आप लोग जान करके बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे और आप लोगों को बता दे कि संत कबीर दास जी ने अपने जीवन में कुछ ऐसे ग्रंथों को लिख गए हैं जिनकी जानकारी आप लोगों को हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से भी आप लोगों को मिलेगी जिसे जानकर आप लोगों को बहुत ही अच्छा महसूस होगा तो मैं आप लोगों को बता दूं कि संत कबीर दास जी के जीवन की घटनाएं बहुत ही अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जा रहा है जो कि आप लोगों को हम उन सभी प्रश्नों के उत्तर बहुत ही आसानी और सरलता से यहां पर बताएंगे जिससे कि आप लोग जानकर बहुत ही ज्यादा अपने प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेंगे तो आप लोगों को हम बता दें कि संत कबीर दास जी की कुछ ऐसे ग्रंथ है जो इसकी जानकारी आप लोगों को हमने एक सूची के माध्यम से बताया है तो आप लोग नीचे दिए गए पैराग्राफ के माध्यम से उन सभी ग्रंथों के बारे में सारी जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं तो दोस्तों आप लोग जरूर से इसे जाने
कबीर साहब ने 6 ग्रंथ भी लिखे है जिसकी सूची नीचे है/Kabir Sahib has also written 6 books whose list is given below.
अब हम आप सभी लोगों को संत कबीर साहब के ऐसे 6 ग्रंथ जो की बहुत ही अच्छी ग्रंथों के नाम हम आप लोगों को बताने वाले हैं जो कि आप लोग उन सभी ग्रंथ के बारे में सारी जानकारी एक लिस्ट के माध्यम से आप लोग जान सकते हैं तो दोस्तों आप लोगों को बता दें कि संत कबीर दास जी की पूरी ग्रंथ के बारे में जानकारी को आप लोग बहुत ही सरलता से जान सकते हैं जो कि हमने आप लोगों को बहुत ही अच्छी तरीके से बताने का प्रयास किया है तो आप लोग दिए गए सूची को ध्यान पूर्वक से पढ़ करके इनकी पूरी ग्रंथ के बारे में जानकारी जाने
● कबीर दोहवाली
● कबीर शब्दावली
● कबीर साखी
● कबीर बीजक
● कबीर सागर
● कबीर ग्रंथावली
तो दोस्तों हमने आप सभी लोगों को कबीर साहब की छह ग्रंथ जो कि इन ग्रंथों के माध्यम से हमें ऐसी शिक्षा मिलती है जिसे हम कभी सोच नहीं सकते क्योंकि दोस्तों हम आप लोगों को बता दें कि संत कबीर दास जी ने कबीर दोहावली में तथा कबीर शब्दावली कबीर साखी कबीर बीजक और सागर तथा ग्रंथावली जैसे ग्रंथ लिखे हैं और इन ग्रंथों के माध्यम से हमें बहुत ही अच्छी सीख मिलती है तो मैं आप लोगों को यहां पर इनकी पूरी सूची रखा है जो कि आप लोगों को कबीर दास जी के द्वारा लिखे गए उनकी 6 ग्रंथों की जानकारी हम आप सभी लोगों को यहां पर बताया और आप लोगों को यह जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी
कबीर कौन थे? | kabir das kaun hai
अब हम आप सभी लोगों को यहां पर कबीर दास जी कौन थे जो कि आप प्रश्न बहुत ही अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछा जा रहा है तो मैं आप लोगों को बता दूं कि कभी शांति कबीरदास का जन्म 15 वी शताब्दी के मध्य काशी उत्तर प्रदेश में हुआ था और मैं आप लोगों को बता दूं कि कबीर दास जी का जीवन क्रम अनिश्चितता से भरा हुआ था उनके जीवन के बारे में अलग-अलग विचार धाराएं अन्य कवियों ने भी दिया है जो कि अपने-अपने माताओं के अनुसार उनकी पूरी व्याख्या किया है तो दोस्तों आप लोग को हम यहां पर बता दे कि उनके जीवन के बारे में अलग-अलग विचार विपरीत तथा और अन्य सारी कथाएं है और यहां तक कि उनके जीवन पर बात करने वाले स्रोत अभी आ पर्याप्त हैं और शुरुआती स्त्रोत के बीजक और आधी ग्रंथि शामिल हैं और मैं आप लोगों को बता दूं कि संत कबीर दास की माता का नाम नीमा तथा पिता का नाम नीरू था और मैं आप लोग को बता दो कि संत कबीर दास जी के गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज दे और इन्होंने अपने शिष्य कबीर दास की पूरी जीवन के बारे में हम यहां पर चर्चा करेंगे और आप लोग को हम यहां पर बताएंगे कि संत कबीर दास जी के जीवन के बारे में बहुत से कवियों ने अपनी अपनी बातों को रखा है और आप लोगों को हम बता दें कि लोगों का कहना है कि इनका पालन-पोषण नीमा और नीरू के द्वारा हुआ था और कहा जाता है कि नीरू जुलाहे को यह लहरतारा ताल पर पाया गया था जिसे वह अपने घर ले आए थे और उनका पालन पोषण किया बाद में उन्होंने बालक कबीर का नाम दिया गया तो मैं आप लोगों को बता दूं कि संत कबीर दास जी ने अपने जन्म स्थान काशी में लहरतारा तालाब में उत्पन्न कमल के मनोहरपुर के ऊपर बालक के रूप में हुई और ऐसा भी कहा जाता है कि कबीर दास जन्म से मुसलमान थे और युवावस्था में स्वामी रामानंद के प्रभाव से उन्होंने हिंदू धर्म का ज्ञान अर्जित किया और 1 दिन कबीर पंचागंगा घाट की सीढ़ियों पर गिर पड़े थे रामानंद जी उसी समय गंगा स्नान करने के लिए सीढ़ियां उतर रहे थे तभी उनका पैर कबीर के शरीर पर पड़ गया उनके मुख से तत्काल राम राम शब्द निकल पड़ा और उसी समय राम को कबीर ने दीक्षा मंत्र मान लिया और रामानंद जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया तो मैं आप लोगों को बता दूं कि जनश्रुति के अनुसार कबीर के 1 पुत्र कमल तथा पुत्री का नाम कमाली था और उन्होंने अपने परिवार को त्याग करके हुए संत स्वामी रामानंद जी महाराज के यहां पर राम के भक्ति में लीन हो गए और इन्होंने अपने हाथों द्वारा रची गई ग्रंथि भी लिखे जिनके द्वारा आज हम बहुत ही अच्छी ज्ञान उन सभी ग्रंथों के माध्यम से मिलता है तो मैं आप लोगों को बता दें कि उनके परिवार की पर्वत के लिए उन्होंने अपने कटघरे पर काफी काम करना पड़ता था साधु संतों का तो घर में जमावड़ा रहता था और लुई शब्द का प्रयोग का भीड़ ने एक जगह कंबल के रूप किया है वस्तुत कबीर की पुत्री और संतान दोनों से एक जगह लोई को पुकार कर कबीर कहते हैं :-
कहत कबीर सुनो रे लोई|
हरि बिन राखन हर ना कोई||
दोस्तों मैं आप लोगों को बता दें कि संत कबीर दास जी ईश्वर को एक मानते थे और कर्मकांड तथा अवतार मूर्ति रोजा ईद मस्जिद मंदिर आज को है नहीं मानते थे लेकिन मैं आप लोगों को बता दूं कि कबीरदास के नाम से मिले ग्रंथों की संख्या भिन्न-भिन्न लेखों के अनुसार धन्य हैं जोकि कबीर की वाणी का संग्रह बीजक के नाम से प्रसिद्ध है और इसके तीन भाग हैं जैमिनी शब्द और साध्वी यह पंजाबी राजस्थानी खड़ी बोली अवधी पूर्वी वजीर बादशाह आदि कई भाषाओं में मिलती है कबीर दास जी परमात्मा को मित्र माता पिता और पति के रूप में देखते थे यही तो मनुष्य के सर्वाधिक निकट रहते हैं वह कभी कहते हैं कि:-“हरि मूर्तियों मैं राम की बहुरिया तो तभी कहते हैं हरि जननी मैं बालक तोरा”
उस समय हिंदू जनता पर मुस्लिम आतंक का कहर मचा हुआ था कबीर ने अपने पद को इस ढंग से सुनियोजित किया जिससे मुस्लिम के मतानुसार झुकी हुई जनता सहज की ही इनकी अनुवाई हो गई उन्होंने अपनी सरल भाषा और सुबोध रखी ताकि वह आम आदमी तक पहुंच सके इससे दोनों संप्रदायों के परस्पर मिलन में सुविधा हुई है इनके पद मुसलमान संस्कृति के विरोधी थे कबीर दास को शांति में जीवन प्रिय था और अहिंसा सत्य सदाचार आज गुरु के प्रशासक थे अपनी सरलता साधु स्वभाव तथा संत प्रवृत्ति के कारण आज विदेशों में भी इनका आदर सम्मान हो रहा है तो दोस्तों बता दे कि संत कबीरदास जी का जीवन काशी में व्यतीत हुआ और उनके मरने के समय मग हार चले गए थे उन्होंने अपनी चाह कर भी मगर गए थे वृद्धावस्था में यश और कीर्ति की मार से इन्होंने बहुत कष्ट पाया और उन्हीं हालातों में उन्होंने बनारस छोड़ा तथा आत्मनिरीक्षण तथा आत्म परीक्षण करने के लिए इन्होंने देश के विभिन्न भागों की यात्रा की कबीर नगर जाकर दुखी थे लेकिन मैं आप लोगों को बता दें कि उनका कहना था कि:
अब कहूं राम कवन गति मोरी, जिले बनारस मत भाई मोरी
कहा जाता है कि कबीरदास के शत्रुओं ने उनको मगर जाने के लिए मजबूर किया था वह चाहते थे कि कभी की मुक्ति ना हो पाए परंतु कबीर तो काशी से नहीं राम की भक्ति से मुक्त पाना चाहते थे उनका कहना था कि:-
जौ काशी तन तजै कबीरा|
तो रामै कौन निहोटा||
उसके पश्चात ओम शांति भगवान गोस्वामी के साधक थे उन्होंने तर्कों का भी पूरी तरह से समाधान किया संत कबीर ने उनका विचार विनिमय हुआ कबीर की एक शाखा ने उनके मन पर गहरा प्रभाव तो उन्होंने उस प्रभाव से यह बात कहा कि”
बन ते भागा बिहरे पड़ा, करहा अपनी बान।
करहा बेदन कासों कहे, को करहा को जान।।
कबीर दास के प्रमुख रचनाओं के नाम/Names of major works of Kabir Das
अब हम आप सभी लोगों को कबीर दास की प्रमुख रचनाओं के नाम हम आप लोग को बताना चाहते हैं जो कि आप लोग को हम बता दें कि अगर आप लोग संत कबीर दास जी की पूरी प्रमुख रचनाओं के पूरी जानकारी अगर अच्छे ढंग से चाहते हैं तो दोस्तों आप लोग इसकी पूरी जानकारी को हमारी इस आर्टिकलके माध्यम से आप लोग प्राप्त कर सकते हैं तो आप लोग बता दे कि संत कबीर दास जी की प्रमुख रचनाओं के नाम इस प्रकार से हैं
- कबीर बीजक
- सुख निधन
- होली
- शब्द
- बसंत
- राखी
- रक्त
तो इस तरह से आप बोलो तो कबीर दास जी की प्रमुख रचनाओं के बारे में आप लोग को जानकारी हमने दिया और आप लोग को बहुत ही आसानी के साथ इसकी जानकारी भी मिल चुकी होगी तो दोस्तों बता दे कि संत कबीर दास जी की यह सभी रचनाएं उनके स्वयं हाथों द्वारा लिखी गई हुई हैं और इस रचनाओं से हमें बहुत ही अच्छी सीख मिल रही है जिससे कि हम इन सभी रचनाओं से एक ऐसा ज्ञान प्राप्त होता है इससे पढ़ कर के हम अपनी सामाजिक तथा धार्मिक और अन्य शायरी ज्ञान इस रचनाओं के माध्यम से हमें प्राप्त होता है त
कबीर ने किसे अपना गुरु बनाया?/Whom did Kabir make as his guru?
कबीर साहेब जी ने अपना गुरु रामानंद को बनाया यह बहुत ही रोचक तत्वज्ञान है। बताया जाता है कि स्वामी रामानन्द जी अपने समय के सुप्रसिद्ध ज्ञानी कहे जाते थे वे द्राविड़ देश से काशी नगर में वेद व गीता ज्ञान के प्रचार हेतू आए ।
तो आप लोगों को बता दें कि कबीर ने अपने गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज को एक गुरु के रूप में स्वीकार किया जो कि कबीर दास जी उनके आश्रम में मुख द्वार पर आकर के विनती की और कहा मुझे गुरु जी के दर्शन कराओ लेकिन उस समय जात पात समाज में यह भेद नहीं था लेकिन मैं आप लोग को यहां पर बता दे कि कबीर दास ने अपने गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज से बहुत अच्छी ज्ञान अर्जित किया जिसकी वजह से आज संत कबीर दास जी बहुत ही ज्यादा व्याख्या तुम्हें हैं और इनकी पूरी जीवन की व्यथा को सुन कर के आप लोग के दांत में पसीना आ जाएगा दोस्त बता दें कि इन्होंने ऐसी ऐसी रचनाएं लिखी जिनकी माध्यम से हमें बहुत ही अच्छी सीख मिलती है और मैं आप लोगों को बता दूं कि संत कबीर दास जी के गुरु रामानंद जी महाराज एक अच्छे तथा सुप्रसिद्ध ज्ञानी है और संत कबीर दास जी का कहना था कि ईश्वर एक समान है जो कि उन्होंने जात पात भेदभाव तथा छुआछूत जैसे महामारी से दूर रहने के लिए उन्होंने कहा और उनका कहना था कि ईश्वर एक है और उन्होंने मूर्ति पूजा तथा मंदिर में जाना और अन्य सारी या में फैली हुई बीमारी से दूर रहने के लिए उन्होंने प्रेरित किया और उन्होंने ऐसी ज्ञान हम और आप सभी लोगों को बता कर गए जिसकी आज बहुत ही ज्यादा आवश्यकता है और मैं आप लोगों को बता दूं कि संत कबीर दास जी ने अपने हाथों द्वारा लिखे गए ग्रंथों तथा रचनाएं से हमें बहुत ही ज्यादा ज्ञान मिलता है जो कि हमने आप लोगों को इनकी ग्रंथों के बारे में तथा उनकी रचनाओं के बारे में सारी जानकारी आप लोगों को बताया है
कबीर साहिब ने अपना गुरु रामानंद को कैसे बनाया?/How did Kabir Sahib make Ramanand his Guru?
अब हम आप सभी लोगों को संत कबीर दास जी ने अपने गुरु रामानंद जी महाराज को किस कारण से अपना गुरु स्वीकार किया यह जानकारी आप लोगों को हमारे इस आर्टिकल के माध्यम से मिलेगा तो हम आप लोगों को यहां पर यह कहना चाहता हूं कि कबीर साहिब ने अपने गुरु रामानंद जी को एक ऐसी विशेषता देखकर गुरु स्वीकार किया जिनकी जानकारी आप लोगों को हमारे शब्दों के माध्यम से भी मिलेगा तो आप लोगों को बता दें कि संत कबीर दास जी ने सोचा कि ग्रुप बनाएं बिना काम बनेगा नहीं तो किसे गुरु बनाया जाए तो उन्होंने यह सोचा और उसके पश्चात उस समय रामानंद नाम के संत उच्च कोटि के महापुरुषों में माने जाने जाते थे तो उन्होंने कबीर दास जी ने उनके नाम को सुना और उनके नामों को सुनकर के उनकी तरफ आकर्षित हुए और कबीर दास जी ने उनके आश्रम के मुख्य द्वार पर आकर के उन से विनती भी किया कि मुझे ग्रुप के दर्शन करना है तो उनके कुछ शिष्य ने अपने गुरु के दर्शन कराएं जो कि उनके गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज थे और उन्होंने अपने गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज के दर्शन करने के पश्चात उनके विचारधारा तथा उनकी हर एक बात को सुनकर के संत कबीर दास जी ने रामानंद जी को अपना गुरु स्वीकार कर लिया तो इस तरह से इन्होंने अपने गुरु रामानंद जी से गुरु मंत्र लिया और एक ईश्वर के समान रामानंद जी को मानते थे और उनकी विचारधाराओं से उन्होंने कुछ ऐसी बातें करें जिनके बात से आज पूरी दुनिया प्रभावित हुई और आप लोगों को बता दें कि उन्होंने मूर्ति पूजा कथा नमाज पढ़ना और छुआछूत जैसी बीमारी से दूर करने को कहा और उनका कहना था कि ईश्वर एक है जो कि इसका ना कोई आकार होता है और ना आकृति तो उन्होंने ईश्वर को एक समान माना और उनके बात को लेकर के उनके शिष्यों ने अपने गुरु के आदेशानुसार उन्होंने दुनिया में प्रचार-प्रसार भी किया जो कि या बहुत ही अच्छी ज्ञान हमें संत कबीर दास जी के द्वारा मिलता है और इस बात से लेकर के हम बहुत ही सहमत हैं और आप लोग को बता दें कि उन्होंने कुछ दोहे भी लिखे हैं जिनकी माध्यम से हमें बहुत ही अच्छी सीख मिलती है तो आइए हम जानते हैं कि इनकी दोहे क्या है और दोनों के बारे में सारी जानकारी मिलेगी तो आप लोग दोनों को अच्छे ढंग से पढ़ करके उनके अर्थ हो को समझ कर उनकी दोहे में छिपी हुई रहस्य की बातें आप लोग जान सकते हैं

कबीर दास के कुछ दोहे/Some couplets of Kabir Das
अब हम आप सभी लोगों को कबीर दास के कुछ दोहे के बारे में हम यहां पर चर्चा करेंगे और उनको लिखी गई दोहे के बारे में सारी जानकारी को प्राप्त करें और हम आप लोगों को यहां पर इनकी द्वारा लिखी गई हर एक दोहे के बारे में जानकारी देने का प्रयास करेंगे तो दोस्तों आप लोगों को बता दें कि उनके दोहे इस प्रकार से हैं:
यह तन विष की बेलरी गुरु अमृत की खान|
सीस दिए जो गुरु मिले तो भी सस्ता जान ||
जग में बैरी कोई नहीं जो मन शीतल होय|
यह आपा तो डाल दे दया करे सब कोई||
चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय|
दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय||
नहाए धोए क्या हुआ जो मन मायला ना जाए|
मीन सदा जल में रहे धोए बस ना जाए||
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय |
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय||
साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभायI
सार सार को गहि रहे थोथा देई उड़ायII
कबीर दास का जीवन परिचय/Biography of Kabir Das
दोस्तों मैं आप सभी लोगों को यहां पर कबीरदास जी का जीवन परिचय के बारे में सारी चर्चा के माध्यम से आप लोगों को इनकी पूरी जीवन की व्याख्या आप लोगों को बताते हुए मैं को यहां पर इनकी पूरी जन्म स्थान तथा इनकी भाषा क्या था पिता का क्या नाम था और पुत्र तथा पुत्री का क्या नाम था और उनकी पत्नी का क्या नाम था और उनके गुरु का क्या नाम था इन सभी के बारे में हमने पूरी जानकारी संत कबीर दास जी के विषय से संबंधित सारी जानकारी को एक टेबल के माध्यम से बताया है और आप लोग टेबल को पढ़ करके इनकी पूरी जीवन की व्याख्या आप लोग कर सकते हैं और इनकी पूरी जानकारी को अच्छे ढंग से आप लोग प्राप्त कर सकते हैं
जन्म स्थान | 1398 ईसवी में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लहरतारा नामक स्थान में हुआ था |
भाषा | अवधी , साधु ककड़ी, पंचमेल तथा खिचड़ी |
माता का नाम | नीमा |
पिता का नाम | नीरू |
पुत्र का नाम | कमाल |
पुत्री का नाम | कमाली |
पत्नी | लोई |
गुरु का नाम | स्वामी रामानंद जी महाराज |
इनकी मृत्यु | कबीर दास की मृत्यु काशी के पास मगहर में 1518 ईस्वी में हुआ था |
तो इस तरह से हमने आप सभी लोगों को कबीर दास जी की पूरी जीवन की जानकारी आप लोगों को बताया और आप लोगों ने अगर टेबल को पढ़ा होगा तो इनकी पूरी जन्म स्थान इनकी मृत्यु कब और कैसे हुआ तथा इनके माता का क्या नाम था तथा उनके पुत्र पुत्री का नाम आप लोगों को टेबल के माध्यम से जानकारी मिला होगा तथा इनके गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज के बारे में भी आप लोगों को जानकारी हमारी इस टेबल के माध्यम से मिला होगा तो दोस्तों इस तरह से इनकी पूरी जीवन की जानकारी हमने आप लोगों को बहुत ही सरलता से एक टेबल के माध्यम से बताया और आप लोगों से हम आशा करते हैं कि यह जानकारी आप लोगों को बहुत ही अच्छी लगी होगी
कबीर दास जी के पत्नी का नाम/Kabir Das ji wife name
दोस्तों अब हम यहां पर आप सभी लोगों को कबीर दास जी के पुत्री का नाम क्या था जो कि यह जानकारी भी बहुत ही अच्छी है और यह जानकारी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में भी पूछा जा रहा है क्योंकि आप लोग को हम बता दें कि कबीर दास जी से जुड़ी सारी जानकारी को हमने आप लोग को बताया है और यहां पर आप लोगों को इनकी पुत्री का नाम हम बताने वाले हैं कि उनकी पुत्री का नाम कमाली था जो कि इनके दो संतान थे जो कि उनकी पुत्री का नाम कमाली था
कबीर दास जी के पुत्र तथा पुत्री का नाम/Name of son and daughter of Kabir Das ji
अब हम आप सभी लोगों को संत कबीर दास जी के पुत्र तथा पुत्री का क्या नाम था यह भी जानकारी हम आप लोगों को यहां पर बताएंगे दोस्तों बता दे कि इनके दो संतान थे पुत्र का नाम कमाल तथा पुत्री का नाम कमाली था और इनके बारे में और जानकारी को प्राप्त करें तो बता दे कि इनकी पत्नी का नाम लोई था और इनके गुरु स्वामी रामानंद जी महाराज जी थे तो इस तरह से हमने आप सभी लोगों को संत कबीर साहब की पूरी जीवन के बारे में तथा इनके पुत्र पुत्री के बारे में सारी जानकारी हमने एक-एक करके आप लोग को बताया है और यह जानकारी आप लोगों को बहुत ही अच्छी लगी होगी और मैं आप लोगों को जानकारी बहुत ही सरलता से यहां पर देने का प्रयास किया है जिससे कि आप लोग अच्छे ढंग से इनकी पूरी जीवन की जानकारी आप लोग जान सके आशा करते हैं कि आप लोगों को हमारी यह जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी
कबीर के गुरु कौन थे Video
निष्कर्ष/ Conclusion
दोस्तों हमने आज आप सभी लोगों को अपने इस आर्टिकल के माध्यम से संत कबीर दास जी की पूरी जीवन की घटनाएं तथा उनके कार्यों का पूरा वर्णन हमने अपनों को बताया है और उनकी पूरी रचनाएं क्या है तथा इनके गुरु कौन थे इनका जन्म स्थान कब और कहां हुआ था तथा इनके गुरु कौन थे इनकी माता पिता कौन थे तथा इनके पुत्र पुत्री का नाम और इन के गुरु कौन थे तथा इनकी पूरी दोहे के बारे में हमने अपनों को अपने शब्दों के माध्यम से बताया है और आप लोगों को इनकी पूरी जीवन की व्याख्या हमने आप लोगों को यहां पर जानकारी के लिए बताया है और मैं आप लोगों को बता दूं कि यह जानकारी बहुत ही अच्छी तरीके से आप लोगों को समझ में आ गई होगी आशा करते हैं कि आप लोग जरूर से इसे पढ़ा होगा और संत कबीर साहब की पूरी जानकारी आप लोगों को अच्छे ढंग से मिल गया होगा
चेतावनी/Warning
दोस्तों हमने आप सभी लोगों को संत कबीर दास जी की पूरी जीवन की व्याख्या हमने आप लोगों को अपने शब्दों के माध्यम से बताया है और आप लोगों को इसमें कोई भी गलती या कोई भी जानकारी गलत लगता है तो आप लोगों को हम बता दें कि इसमें हमें कोई भी दोष ना दें क्योंकि हम आप सभी लोगों को यहां पर जितनी भी जानकारी दिया है वह सभी इंटरनेट गूगल के माध्यम से ही बताया है और जितनी भी जानकारी हमने दिया है वह 100% सत्य ही नहीं हो सकता है तो मैं आशा करता हूं कि आप लोगों को हमारी यह जानकारी बहुत ही अच्छे ढंग से समझ में आया होगा अगर आप लोगों को इसमें कोई भी जानकारी अधूरी लग रही है तो आप लोग हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते हैं जिससे कि हम आप लोग को और भी अच्छी से अच्छी जानकारी आप लोग को दे सके
कबीर के गुरु का नाम क्या था
संत कबीर ने अपना आध्यात्मिक प्रशिक्षण रामानंद नामक गुरु से प्राप्त किया। कबीर 15वीं सदी के रहस्यवादी, कवि और संत थे।
कबीर के मुस्लिम गुरु कौन थे?
कबीर के गुरु रामानंद विशिष्टअद्वैतवाद दर्शन के पक्षकार थे और भगवान राम को अपना ईष्ट देव मानते थे.
कबीर दास जी के मंत्र?
मसि कागद छुयो नहीं, कलम गहो नहीं हाथ. वाले कबीर ने यहां भगवान गोस्वामी को जो बीज मंत्र दिया वही बीजक कहलाया।
कबीर ने कितने दोहा लिखे थे?
भक्ति आंदोलन के समय उनकी रचनाएँ बहुत प्रभावशाली थीं। कबीर एक प्रमुख कवि थे और उन्होंने ज्यादातर अपनी कविताएँ हिंदी में लिखीं। उत्तर. संत कबीर ने जीवन पर आधारित 25 दोहे लिखे।
कबीर दास हिंदू थे या मुसलमान?
कबीर न हिन्दू थे, न मुसलमान थे, न जुलाहा थे, उनकी पहचान यह थी कि वे दलित थे और दलित धर्म को मानते थे।